पूरा विश्व आज कोरोना से पीड़ित है और इस समय इससे लड़ने का कोई भी उपाय सूझ नहीं रहा ।
भारत में 14 अप्रैल तक लॉक डाउन सख्ती से लागू किया गया है। सभी को इसका पालन कड़ाई से करना चाहिए

अब एक प्रश्न उठता है कि इस समय क्या कोई ग्रह योग या खगोलीय घटना का इस महामारी की  घटना से कोई संबंध है?

warm sun

सूर्य एक ऐसा ग्रह है जो आयुर्वेद और रोग निदान के कारक  के रूप में जाना जाता है ।

अब हम सूर्य का ज्योतिषी आधार पर या खगोलीय आधार पर विश्लेषण करते हैं, क्योंकि सूर्य ब्रह्मांड का सबसे अत्यधिक ऊर्जावान ग्रह है,अतः यदि ऊर्जा में शिथिलता (deficiency ) होगी तो सबसे पहले रोग ही दस्तक देगा।जब सुरक्षा व्यवस्था कमजोर होती है तभी शत्रु आक्रमण करता है ।

मेदिनी ज्योतिष में सूर्य को अग्नि तत्व एवं सभी ग्रहों का स्वामी या प्रमुख शासक माना गया है । देश के प्रमुख राजनैतिक पद न्यायाधीश ,राष्ट्राध्यक्ष  का कारक भी सूर्य ही  है, अतः इस समय राष्ट्र के प्रधानमंत्री या राष्ट्र अध्यक्षों  द्वारा किसी भी प्रकार का संदेश या निर्णय इस दिशा में महत्वपूर्ण एवं सार्थक कदम सिद्ध होगा।

प्रधान मंत्री श्री मोदीजी द्वारा 21 दिन का लोक डाउन की घोषणा इसी का उदाहरण है।

इसी प्रकार सूर्य का वन और औषधियों आदि पर भी अधिकार है,सामान्य व्यक्ति की कुंडली में भी जब सूर्य है कमजोर होता है तो विशेष रूप से स्वास्थ्य में गिरावट आती है, तेज़ बुखार ,कमजोरी तथा आत्मबल आदि का कारक भी सूर्य ही है, किसी भी रोग पर विजय पाने मे पर्याप्त (sufficient )आत्मबल बहुत जरूरी है । इसलिए वर्तमान समय में फैल रही महामारी में सूर्य की भूमिका महत्वपूर्ण है । हम सभी जानते हैं कि सूर्य की ऊर्जा का वनस्पतियों पर भी इसी तरह से प्रभाव पड़ता है जिस प्रकार से मनुष्य पर ,शरीर में भी विटामिन डी की कमी की दूर करने के लिए धूप सेवन की सलाह दी जाती है।

अब इसका ज्योतिषी विश्लेषण करते हैं सूर्य मकर राशि से मिथुन राशि तक उत्तरायण होता है और कर्क राशि से धनु राशि पर दक्षिणायन होता है। सूर्य मकर राशि मैं 14 जनवरी में आता है इसके बाद फिर कुंभ राशि मीन राशि और आगे मेष राशि अप्रैल में आता है यहां पर सूर्य, शनि की 2 राशियों में भ्रमण करता है फिर बृहस्पति की मीन राशि में और 14 अप्रैल को मेष राशि में प्रवेश करता है,जो मंगल की राशि है इसमें सूर्य उच्च का होता है।

यदि यहां गौर किया जाए तो शनि की 2 राशियां मकर एवम् कुंभ है और शनि को रोग आदि का कारक माना गया है ,और सूर्य इन राशियों मे असहज (uncomfortable )रहता है, यह भी देखा गया है की जनवरी के पश्चात लोगों में विशेष रूप से संक्रमण रोग जैसे वायरल बुखार, खांसी, जुकाम ,सर्दी निमोनिया आदि अधिकतम देखा गया है और अप्रैल तक इन रोगों की व्यक्तियों में अधिकता देखी गई है। इसी समय किसी भी प्रकार की एलर्जी से पीड़ित लोगों को भी बहुत तकलीफ होती है एवं विशेष रुप से उन लोगों को सबसे ज्यादा तकलीफ होती है जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है या पूर्व में उनको इसी प्रकार की किसी भी संबंधित बीमारी का इतिहास रहा हो ।

अब प्रश्न उठता है कि इसी अंतराल में कोई भी संक्रमण रोग तेजी से क्यों फैलता है।
सूर्य को शनि (रोग) की राशि में ठीक नहीं माना जाता और मीन राशि में जब सूर्य आता है तो उसे मलमास या खरमास कहते हैं जिसमें कोई भी शुभ कार्य आदि नहीं किए जाते।
कहने का तात्पर्य यह है की दुर्भाग्य से सूर्य के इन्ही राशियों मे transit के दौरान जब कोराना नामक संक्रामक बीमारी प्रभाव में आई तो वह बहुत तेजी से फैल गई क्योंकि सूर्य के प्रभावी न होने से इस वातावरण ने आग में घी का कार्य किया,उसमे भी पीड़ादायक यह रहा की इस virus ने उन लोगों को अधिक से अधिक प्रभावित किया या पीड़ित किया जिनका इम्यूनाइजेशन सिस्टम कमजोर था या जो अधिक उम्र के थे एवं कई प्रकार की बीमारियों से ग्रसित थे,यद्यपि ऐसा नहीं है कि इस संक्रमण से बच्चे या जवान प्रभावित नहीं हुए किंतु अधिकांशत युवा और बच्चे वही प्रभावित हुए जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम थी या जिनकी जीवन शैली एवं खान पान अनियमित था और जो अपने स्वास्थ्य के प्रति सावधान नहीं थे।

सूर्य जब मेष राशि में प्रवेश करता है तो अत्यधिक ऊर्जावान होता है और क्योंकि मेष राशि का स्वामी मंगल है और मंगल शरीर में रक्त और WBC एवम् RBC का कारक होने के साथ साथ इम्यूनाइजेशन को बढाने का कार्य भी करता है,मेष राशि भी अग्नि तत्व है अतः यहां सूर्य अत्यधिक ऊर्जावान हो जाता है , जिससे ब्रह्मांड में अतिरिक्त ऊर्जा का उद्भव होता है और पृथ्वी पर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है , जिससे जिन लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है उनको इसका लाभ मिलता है और जो अस्वस्थ हैं उनको शीघ्र स्वास्थ्य लाभ होने लगता है ,विशेष रूप से दवाएं अपना असर तेजी से दिखाने लगती है।
प्राचीन सभ्यताओं और वैदिक काल में भी सूर्य एवं अग्नि को ही संपूर्ण महत्व दिया गया है वेदों में अधिकांशतः सूर्य की स्तुति कर सब को स्वस्थ करने की प्रार्थना की गई है।
सामवेद में सर्वप्रथम अग्नि की ही स्तुति की गई है ।

14 अप्रैल को सूर्य के मेष राशि में प्रवेश करते ही सकारात्मक वातावरण बनेगा नई दवाइयों और टीकों का आविष्कार होगा साथ जो हताशा के शिकार है उनके आत्मबल में वृद्धि होगी।
इसीलिए बार बार इसी बात पर जोर दिया जा रहा है कि ऐसी वस्तुएं खाने मे लें जिनकी प्रवृति गरम है, अदरक,हल्दी,लोंग ,लहसुन ,कालीन मिर्च ,गरम पानी आदि का परायों अधिक से अधिक करने की सलाह दी जाती है ।

सूर्य एवं मंगल ग्रह की धातु तांबा (copper ) है अतः तांबे के बर्तन मे लगभग 100 gms चांदी का टुकड़ा डालकर काम से काम 8 घंटे पानी मे रखें फिर उस पानी को गरम कर अधिक से अधिक पियें, धूप मे कम से कम 15 मिनिट अवश्य बैठें।

दो बड़े चम्मच गेहूं ,एक चम्मच मेथी दाना रात को एक ग्लास पानी मे भिगो दें(भिगोने से पहले दोनों को अच्छी तरह धो ले ) प्रातः इस पानी को छान कर इसमे थोड़ा नींबू का रस मिला ले और खाली पेट पी लें ,बचे हुए गेहू एवं मेथी को वापस भिगो दे और दूसरे दिन फिर से पी ले , चाहें तो इसे खा भी सकते है, इसी तरह दुबारा भिगो कर लगातार रोज पियें।
यह एक अमृत पेय है जिससे Immunization तो बढ़ता ही है साथ ही बुढ़ापा भी जल्दी नहीं आता(Anti Ageing drink ) ,आजमाया हुआ प्रयोग है।

गले मे कोई भी एक रुद्राक्ष अवश्य धारण करे। लाल मनकों (Beads ) की माला यदि मिल जाए तो पहन ले।
लाल चंदन की माला भी पहन सकते है, तांबे की अंगूठी या कडा पहन ले।
सूर्य के मंत्रों का जाप करें।
आशा है इस लेख से आपका मार्गदर्शन होगा। स्वस्थ रहें और सबको स्वस्थ रखे ,जागरूक नागरिकों की भांति व्यवहार करें मनोबल उच्च रखे कठिन समय है जल्दी ही सब सामान्य होगा निश्चिंत रहे, ईश्वर मे विश्वास रखें वो सबकी रक्षा करता है।

जय श्री महाकाल