। । ॐ नमः शिवाय । ।

जीवन मे व्यक्ति कभी न कभी धोखा जरूर खाता है ,या यों कहे कि ठगी का सामना करना पड़ सकता है ।
सबसे पहले ये समझना बहुत ही जरूरी है कि कुंडली ऐसे कौनसे योग होते है जिससे व्यक्ति को धोखे/ठगी का सामना करना पड़ सकता है।
किसी भी कुंडली मे 12 भाव और 9 ग्रह होते जैसा कि नीचे चार्ट दिया गया है।

कुंडली मे प्रथम भाव मे कर्क राशि फिर सिंह,कन्या ,वृश्चिक,धनु,मकर,कुम्भ,मीन,मेष,वृषभ,मिथुन,कर्क,,तुला आदि 12 भाव है। इसी प्रकार सूर्य,चंद्रमा,मंगल,बुध,बृहस्पति,शुक्र,शनि,राहू,केतु आदि नव ग्रह है। कोई भी व्यक्ति जीवन धोखा तभी खाता है जब उसकी कुंडली मे संबंधित योग हो,अर्थात इसके लिए यह जानना जरूरी है कि कौन स भाव और ग्रह इसके कारण है, लग्न यानि प्रथम भाव किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व के बारे मे बताता है मतलब लग्न और लग्नेश का बाली होना बहुत जरूरी है जैसा कि उपरोक्त कुंडली कर्क लग्न की है जिसका स्वामी चंद्रमा है यदि चंद्रमा कमजोर है यानि नीच राशि (वृश्चिक राशि)मे स्थित है या छठे,आठवें,12वें भाव मे स्थित हो साथ ही कोई पाप ग्रह (सूर्य,शनि,मंगल,राहू,केतु) के साथ हो,इसी प्रकार इन्ही पाप ग्रहों की दृष्टि मे हो अर्थात चंद्रमा जिस भाव मे स्थित हो उस भाव पर इन पाप ग्रहों से दृष्टि संबंध हो या पाप ग्रहों के मध्य स्थित हो। इस स्थिति मे चंद्रमा (लग्नेश) कमज़ोर माना जाएगा। उसी प्रकार भाव के स्वामी से भी व्यक्तित्व पर पूर्ण प्रभाव पड़ता है, जलीय राशियाँ (कर्क,वृश्चिक एवं मीन ) व्यक्ति को भावुक बनाती है और अक्सर भावुक व्यक्ति ही अधिकतर धोखा खाते हैं। द्विस्वभाव राशियों के (मिथुन,कन्या,धनु,मीन) लग्न और इस सभी राशियों के स्वामी भी कमज़ोर हो तो ऐसे व्यक्ति को ढुलमुल स्वभाव के होते हैं यानि निर्णय लेने मे त्वरित नहीं होते इसलिए जब कभी भी ऐसी स्थिति आए की कौन व्यक्ति विश्वास के लायक है कौन नहीं तो वे अक्सर सही निर्णय नहीं ले पाते और जिसकी वजह से कभी-कभी धोखे का शिकार हो जाते है, इसी प्रकार लग्नेश (प्रथम भाव का स्वामी) जलीय और द्विस्वभाव राशियों मे स्थित हो तो भी यही प्रभाव देखने मे आता है।

शनि और राहू ये दो ग्रह विशेष रूप से किसी भी व्यक्ति की कुंडली मे धोखा खाने के कारक है, शनि और राहू जिस भाव मे स्थित होंगे उस भाव से संबंधित क्षेत्र मे धोखा दिलवाते हैं, जैसे शनि या राहू लग्न मे स्थित हो या लग्न पर इनकी दृष्टि हो तो स्वयं के गलत निर्णय से व्यक्ति धोखा खाता है, विशेष रूप से शनि यदि 6ठे ,8वें, 12वें भाव का स्वामी हो, किन्तु स्वराशि( मकर ,कुम्भ ) या उच्च (तुला राशि ) मे स्थित हो तो दुष्प्रभाव नहीं होगा।
राहू एक छाया ग्रह है इसलिए ये जिस भाव मे स्थित होता है उस भाव मे उत्तेजना स्वरूप गलत निर्णय करवाता जिससे व्यक्ति के धोखा खाने की संभावना रहती है।

दूसरे भाव यदि यही Combination हो तो अपने कुटुंबियों से, स्वयं के वचनों से, किसी प्रकार के लेनदेन से बैंक से संबंधित या जमा पूंजी ,आभूषण, बिना सोचे समझे दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने से या किसी की जमानत देने आदि की ठगी होने की संभावना होती है।

तीसरे भाव मे यह Combination अपने भाई बँधुओं और अतिउत्साह के कारण और आँख मूंदकर विश्वास करने के कारण ठगी की संभावना होती है।

चौथे भाव मे इसी प्रकार का Combination हो तो प्रॉपर्टी और वाहन के लेनदेन मे,विद्याध्ययन काल मे, रिश्तेदारों और मित्रों से चाचा आदि से ठगी की संभावना प्रबल होती है।

पंचम भाव मे यदि यही Combination हो तो लॉटरी ,सट्टा ,गलत इनवेस्टमेंट से बुद्धि का गलत इस्तेमाल से तथा रोमांस आदि मे ठगी की संभावना होती है।

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छठा भाव वैसे तो ठगी ,विवाद ,ऋण ,शत्रु और नुकसान का ही भाव है अतः इस भाव से पाप ग्रहों का संबंध या प्रभाव हो तो बहुत ही सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि यह भाव कानूनी लड़ाई और इसके कारण ठगी या धोखा भी हो सकता है जैसे गलत कानूनी राय या वकीलों द्वारा मोररख बनाया जाना आदि शामिल है।

सातवाँ भाव बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि इस भाव से विवाह संबंधी,व्यापार मे साझेदारी, विदेश या विदेश यात्रा संबंधी धोखाधड़ी की संभावना होती है।

आठवाँ भाव बदनामी का भाव है साथ ही पैतृक संपत्ति से होने वाली धोखाधड़ी भी इसी भाव से देखते है।किसी प्रकार का घोटाला आदि ।

नवें भाव का संबंध धर्म, गुरु ,पिता, विदेश ,लंबी यात्राएं और उच्च शिक्षा सम्बधी कोई भी ठगी या धोखा धड़ी से है यदि पापग्रहों से यह भाव संबंधित हो या उनके प्रभाव मे हो।

दसवां भाव यदि इन्ही सब पाप ग्रहों से प्रभावित हो तो रोजगार ,सरकार से मिलने वाले मानसम्मान, पुरस्कार और तीर्थ यात्रा संबंधी ठगी या धोखाधड़ी का शिकार हो सकता है।

ग्यारहवाँ भाव यदि पीड़ित हो तो बड़े भाई, मित्रों,लाभ से संबंधित कोई भी धोखाधड़ी हो सकती है।

बारहवाँ भाव खर्चों का भाव है साथ ही जैल और अस्पताल भी इसी भाव से देखा जाता है,अतः ये भाव पीड़ित हो तो बहुत सावधानी बरतना चाहिए।

ये सब भावों के आधार पर होने वाली ठगी और धोखाधड़ी के बारे मे बताया गया है, अब मैं ,ग्रहों के प्रभावित होने से होने वाली ठगी आदि के बारे मे बताऊँगा किस काउंसे ग्रह से किस प्रकार की ठगी हो सकती है।
इसी प्रकार सूर्य पाप प्रभाव मे 6,8,12 वें भावों मे स्थित हो या पाप ग्रहों (6 th,8 th 12 th भाव के स्वामी या शनि राहू केतु मंगल इत्यादि )से पीड़ित हो, तो government या इससे संबंधित लोगों से धोखा या ठगी होने की संभावना होती है,