कोरोना से कौन से व्यक्ति अत्यधिक प्रभावित हो सहते है ,एक ज्योतिषीय विश्लेषण:-

सम्पूर्ण विश्व इस समय कोरोना नामक वायरस की चपेट मे है और इस भयानक महामारी ने प्लेग जैसी महामारी की यादें ताज़ा कर दी है। हजारों लोग इस वायरस की चपेट मे आकर अपनी जान गंवां चुके है।
वैसे तो विश्व के सभी देश अपने अपने स्तर पर इस लाइलाज बीमारी से लड़ने के उपाय खोजने मे पूरी ताकत के साथ जूझ रहे है किंतु अभी तक इसका कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आया, न तो कोई दवा और ना हीं कोई टीके का अभी तक आविष्कार हुआ है ,जिससे कि इस बीमारी का तुरंत इलाज किया जा सके, फिलहाल तो सावधनियाँ ही बचाव है।

एक ज्योतिषाचार्य होने के नाते मै अपने ज्योतिषीय अनुभव के आधार पर इस बीमारी से ग्रसित लोगों का ज्योतिषीय आधार पर विश्लेषण करना चाहता हूँ।
सर्वप्रथम यहाँ यह जानना आवश्यक है की कुंडली (Horoscope) के आधार पर यह जाने की यह रोग किन व्यक्तियों को हो सकता है और उनकी कुंडली के अध्ययन के आधार पर यह जानने का प्रयास करेंगे की वे कौन से ग्रह और भाव है जो इस प्रकार की बीमारी समबंध रखते है,यानि जो व्यक्ति इस रोग से पीड़ित है उनकी कुंडली मे ग्रहों की स्थिति क्या है जिससे वे इस प्रकार के वायरस आदि के आसानी से शिकार हो सकते हैं।

कोरोना का संक्रमण मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है इसके मुख्य लक्षणों मे ,तीव्र बुखार, सूखी खांसी,गले मे दर्द, सांस लेने मे तकलीफ आदि हैं।
राहू एक ऐसा ग्रह है जो महामारियों का कारक माना जाता है, किसी भी बीमारी द्वारा बहुत संख्या मे मृत्यु का कारण राहू माना गया है। किन्तु पहले हम शरीर के विभिन्न अंगों से संबंधित भावों ,ग्रहों और ग्रहों की युति द्वारा मानव शरीर मे किस प्रकार कोरोना का संक्रमण हो सकता है चर्चा करेंगें।

जन्म कुंडली मे लग्न से दूसरा भाव गले का कारक है और Medical Science मे यह कहा जाता है कि Throat is the Gateway of Viral Infections ,अर्थात कोई भी वाइरल बीमारी गले से ही शुरू होती है।

horoscope
उपरोक्त कुंडली अनुसार दूसरा भाव व वृषभ राशि व्यक्ति की खान पान संबंधी आदतों और गलेसे संबंधित रोगों को इंगित करता है, जब यह भाव क्रूर  ग्रहों जैसे सूर्य,मंगल,शनि,राहू,केतु के दुष्प्रभाव मे हो या दूसरे भाव का स्वामी जब पाप प्रभाव मे तो गले संबंधी संक्रमण की संभावना होती है।
इसके पश्चात चौथा भाव एवं कर्क राशि वक्ष स्थल का कारक होते है,चौथे भाव को पूर्ण सुख के भाव के रूप मे जाना जाता है और एक कहावत भी है कि ” पहला सुख निरोगी काया”। जब यह भाव पाप ग्रहों के प्रभाव मे होता है या चौथे भाव के स्वामी एवं कर्क राशि पर पाप ग्रहों का प्रभाव  रहेगा तो वक्षस्थल संबंधी रोग उत्पन्न हो सकते है या फेफड़ों मे किसी भी प्रकार का संक्रमण उत्पन्न हो सकता है, किसी भी व्यक्ति की कुंडली मे लग्न ,लग्नेश,सूर्य एवं चंद्रमा यदि कमजोर है तो उसको स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।इनमे सबसे महत्वपूर्ण ग्रह चंद्रमा है जो कर्क राशि का स्वामी है और खांसी ,जुकाम और संक्रमण द्वारा होने वाले रोगों का कारक भी है, इसके बाद जो महत्वपूर्ण ग्रह हैं वो है बुध एवं शनि इन ग्रहों का अधिकार स्नायु तंत्र पर है जब ये सभी ग्रह किसी भी प्रकार शरीर पर विपरीत प्रभाव डालते है तो श्वास संबंधी बीमारी को जन्म देते है, राहू यदि अष्टम भाव से किसी भी प्रकार का संबंध रखता है तो दीर्घ कालीन बीमारी का भी होता है, छठा भाव रोग का अष्टम भाव आयु और शारीरिक कमजोरी या शरीर मे किसी प्रकार की कमी का कारक एवं बारहवाँ भाव अस्पताल का कारक है।

अब हम इस संक्रमित बीमारी कोरोना का उपरोक्त आधार पर विश्लेषण करेंगे , किसी भी व्यक्ति की कुंडली मे जब चंद्रमा और बुध सबसे अधिक पाप प्रभाव मे हो या नीच के हो ,छठे,आठवें,बारहवें स्थान मे स्थित हों और उनपर किसी भी पाप ग्रह या ग्रहों की दृष्टि हो तो श्वाश या फेफड़ों संबंधी रोग होगा, 4 th house मे चंद्रमा यदि नीच (वृश्चिक राशि मे)या कर्क राशि मे होकर उस पर शनि, मंगल ,राहू की दृष्टि या युति हो तो भी निमोनिया,अस्थमा,स्वाइन फ्लू और वर्तमान मे कोरोना संबंधी संक्रामक रोग होने की प्रबल संभावना होगी। चंद्रमा यदि 8 th house मे हो तो विशेष सावधानी बरतें खास तौर पर बहुत छोटे बच्चों के लिए क्योंकि इस स्थान पर चंद्रमा को बालारिष्ट योग कहते है।
कोई भी व्यक्ति संक्रामक रोग से तभी ग्रसित होगा जब ये सभी योग और संबंधित भावों मे आपसी संबंध होगा ,क्षीण चंद्रमा और कमजोर लग्नेश रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunization )को कम करता है ।
ज्योतिषशास्त्रों मे चंद्रमा को मन का कारक माना गया है, कमजोर चंद्रमा (नीच ,सूर्य के साथ युति ) पर जब शनि ,मंगल,एवं सूर्य ,राहू आदि क्रूर ग्रहों का प्रभाव पड़ता है तो व्यक्ति लापरवाह,मनमानी करने वाला तथा स्वास्थ्य के प्रति सजग नहीं रहता , बुध और दूसरा भाव पीड़ित हो तो खानपान के प्रति लापरवाह बनाता है , जब लग्न और लग्नेश कमजोर होता है तथा उस पर शनि का प्रभाव हो तो व्यक्ति आलसी और शारीरिक परिश्रम से बचता है ,मंगल यदि प्रभावी नहीं हो तो किसी कार्य को करने मे उत्साह व ऊर्जा की कमी पाई जाती है जैसे व्यायाम, योग,ध्यान आदि के प्रति रुचि का अभाव भी देखा गया है, कोई भी व्यक्ति न तो एक दिन मे स्वस्थ नहीं हो सकता और न ही बीमार हो सकता है यह एक लंबी प्रक्रिया है, जब व्यक्ति की दिनचर्या अनियमित होती है तो वो स्वयं बीमारी को आमंत्रण देता है, केतु संक्रमित बीमारी और allergy का कारक है अतः चंद्रमा,बुध एवं लग्नेश केतु के प्रभाव मे हो तो allergy के कारण भी संक्रमित रोग हो सकते है, जब छठा भाव और इसके कारक (शनि,मंगल) प्रभावी होकर उपरोक्त ग्रहों,भावों को प्रभावित करते है तो रोग की शुरुआत होती है ,12 th house अस्पताल मे भर्ती का कारण बनता है और यदि 8 th house भी का संबंध भी हो रहा हो तो आयु पर विपरीत प्रभाव डालता है। इसलिए जिन व्यक्तियों की कुंडली मे इस प्रकार का कोई भी संबंध दृष्टिगोचर हो वे सावधानी बरतें एवं अपनी कुंडली का विश्लेषण किसी योग्य एवं विद्वान ज्योतिषाचार्य से करवाएं ,किसी भी रोग के प्रारंभ होते ही उसके लक्षण दिखाई देने लगते है, जैसे कोरोना से प्रभावित व्यक्ति को गले मे दर्द, जुकाम, बुखार, खांसी आदि से पीड़ित पाये गया है , जब जन्म कुंडली उपरोक्त सभी कारणों से प्रभावित होगी तो इस प्रकार के रोगों की संभावना प्रबल होगी, यहाँ एक मुख्य बात और बताना चाहूँगा की प्रतिकूल ग्रहों की दशा अर्थात इस प्रकार के रोगों से संबंधित ग्रह और प्रतिकूल गोचर के ग्रहों का प्रभाव भी रोग की तीव्रता को बढ़ाता है और स्वास्थ्य सुधार मे बाधक होता है।

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उदाहरण के लिए इस कुंडली के जातक को स्वाइन फ्लू चंद्रमा-शुक्र दशा मे हुआ ,शुक्र छठे भाव स्थित है (शनिं से दृष्ट)और बुध पंचम भाव मे सूर्य के साथ स्थित है। चंद्रमा नीच का होकर 4 th house (वक्ष स्थल एवं lungs ) मे शनि (छठे भाव का स्वामी) और कारक मंगल से पीड़ित है ,चंद्रमा 12 th house का स्वामी है इसलिए एक सप्ताह तक अस्पताल मे भर्ती होना पड़ा ,चंद्रमा-सूर्य(लग्नेश) दशा एक सप्ताह बाद ही शुरू होने वाली थी तो उसी दिन अस्पताल से छुट्टी मिल गई।
Article बहुत लंबा ना हो इसलिए मुख्य मुख्य बातों की और ध्यान आकर्षित करने की चेष्टा की है, आशा है मेरे इस प्रयास से सबको कुंडली मे यदि इस प्रकार का कोई योग हो और स्वास्थ्य संबंधी कोई परेशानी आ रही हो तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें ,क्योंकि 11 th house बीमारी से लाभ का है अतः जब यह भाव अनूकूल हो तो समय पर इलाज होता है और व्यक्ति सही और expert डॉक्टर से संपर्क करता है वरना कई बार गलत इलाज या डॉक्टर द्वारा सही समय पर बीमारी diagnose नहीं होने से भी तकलीफ हो सकती है।

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः,सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्।
ॐ शांतिः शांतिः शांतिः

अर्थ – “सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय घटनाओं के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े।”
।। जय श्री महाकाल।। कल्याणमस्तु ।