जिन व्यक्तियों की कुंडलियों मै काल सर्प दोष है या वे मंगलीक है उनको कालसर्प दोष की शांति अवश्य करवानी चाहिए ,क्योंकि राहु और केतु के मध्य जब सब ग्रह स्थित होते है तो काल सर्प दोष होता है,यह 12 प्रकार के होतें है जिसके कारण जीवन मे हर क्षेत्र में बाधाएं उत्पन्न होती है ।

इसी प्रकार जब कुंडली मे मंगल ग्रह प्रथम,चतुर्थ,सप्तम,अष्टम एवं द्वादश भाव मे स्थित होता है तो मंगल दोष कहलाता है,इस दोष के कारण जातक क्रोधी,हठी, उतावला एवं उग्र स्वभाव का होता है।साथ ही मांगलिक दोष के कारण विवाह में अत्यधिक विलम्ब, प्रॉपर्टी में झगड़े व भाइयों से मतभेद रहते है।
कालसर्प दोष की शांति विशेष रूप से जहाँ ज्योतिर्लिंग, शक्तिपीठ एवं काल भैरव का स्थान हो वहाँ अवश्य करवा लें। विशेष रूप से उज्जैन ,नाशिक एवं काल हस्ती स्थानों पर काल सर्प दोष की शान्ति की जाती है।

मंगल दोष की शांति विश्व मे एकमात्र मंगलनाथ उज्जैन स्थित मंदिर में ही होती है, हाल ही में मेरे एक भक्त के बच्चों की उज्जैन में ये अनुष्ठान करवाये।

जय श्री महाकाल